297 साल पुरानी परंपरा: जयपुर में बारिश की भविष्यवाणी का अनोखा अंदाज़.

जयपुर में बारिश की भविष्यवाणी एक ऐसी अनोखी परंपरा है जो 297 सालों से बिना रुके निभाई जा रही है। हर साल आषाढ़ी पूर्णिमा की शाम को, जंतर-मंतर पर खड़े होकर ज्योतिषी हवा की दिशा और गति देखकर मानसून का हाल बताते हैं — और हैरानी की बात यह है कि ये अनुमान अक्सर सटीक साबित होते हैं।


जंतर-मंतर की छत पर जब आसमान से होते हैं संवाद

जयपुर में बारिश की भविष्यवाणी

जयपुर, केवल गुलाबी दीवारों और महलों का शहर नहीं है, यह एक जीती-जागती विरासत है।
हर साल आषाढ़ी पूर्णिमा की शाम को शहर की धड़कनें कुछ खास सुनती हैं — जब जंतर-मंतर की ऊंचाई से बारिश की भविष्यवाणी की जाती है, ठीक वैसे जैसे 297 साल पहले की जाती थी।

इस परंपरा की शुरुआत 1727 में हुई थी, जब जयपुर के संस्थापक सवाई जयसिंह द्वितीय ने इसे स्थापित किया था। तब से लेकर आज तक, बिना किसी गैजेट या रडार के, केवल हवा की दिशा, तापमान और आकाश के संकेत देखकर अनुमान लगाया जाता है कि मानसून कैसे रहेगा।


कैसे होती है जयपुर में बारिश की भविष्यवाणी?

  • स्थान: जंतर-मंतर, जयपुर
  • समय: आषाढ़ी पूर्णिमा की शाम, ध्वज पूजन के बाद
  • कौन करता है: अनुभवी ज्योतिषाचार्य
  • उपकरण: सम्राट यंत्र, जो 105 फीट ऊंचा है

हवा की दिशा सब कुछ बता देती है

यदि हवा पूर्व या ईशान दिशा से बह रही हो, तो माना जाता है कि वर्षा भरपूर होगी। उत्तर दिशा की हवा भी शुभ मानी जाती है। इसके अलावा, वायुवेग और तापमान के संकेत भी गहराई से देखे जाते हैं।

और जानें


बदलते दौर में भी कायम है लोगों की आस्था

जयपुर में बारिश की भविष्यवाणी

जो बात सबसे खूबसूरत है — वह यह कि यह परंपरा केवल किताबों तक सीमित नहीं रह गई है। हर साल लोग, खासकर युवा, साइंस पार्क और जंतर मंतर पर जमा होते हैं। कुछ इसे इतिहास समझने आते हैं, कुछ संस्कृति, और कुछ तो बस उस हवा की महक महसूस करने जो सालों से दिशा बता रही है।

डॉ. रवि शर्मा और पं. चंद्रशेखर शर्मा जैसे ज्योतिषाचार्य इसे वैज्ञानिक नजरिए से समझाते हैं वे कहते हैं कि यह केवल मान्यता नहीं, एक लोक-ज्ञान आधारित विज्ञान है।


बदल रहा है तरीका, लेकिन आत्मा वही है

पूर्व में यह प्रक्रिया नौ महीनों की ग्रह स्थिति और पर्यावरण संकेतों के गहन अध्ययन पर आधारित होती थी। अब समय की कमी और तकनीकी दुनिया के चलते यह गणना कुछ महीनों तक सीमित हो गई है।
फिर भी, हर साल जयपुर में बारिश की भविष्यवाणी के इस आयोजन में वही गंभीरता और श्रद्धा देखने को मिलती है।


जुड़ें जयपुर की अन्य परंपराओं से भी


निष्कर्ष: जब विज्ञान और विरासत हाथ मिलाते हैं

जयपुर में बारिश की भविष्यवाणी सिर्फ एक रस्म नहीं है। यह उस दौर की याद है जब मनुष्य प्रकृति के साथ संवाद करता था — जब हवा, धूप और पक्षियों की चाल से समझ लिया जाता था कि पानी कब बरसेगा।

यह परंपरा बताती है कि तकनीक जरूरी है, लेकिन संवेदना और समझ उससे कहीं आगे की चीज़ हैं।

Related Posts

KTM 390 Adventure X Plus: लॉन्च से पहले जानिए इसके फीचर्स, प्राइस और स्पेसिफिकेशन Upcoming bike in 2025

अगर आप एक ऐसी एडवेंचर बाइक की तलाश में हैं जो बेहतरीन परफॉर्मेंस, स्मार्ट फीचर्स और एक प्रीमियम फील दे, लेकिन बजट में फिट हो, तो KTM 390 Adventure X Plus एक शानदार ऑप्शन बन सकता है। यह बाइक 390 Adventure X का एक अपग्रेडेड वर्जन है, जिसमें कई एडवांस फीचर्स जोड़े गए…

IB ACIO भर्ती 2025 इंटेलिजेंस ब्यूरो में निकली 3,717 पदों पर भर्ती, जानें पात्रता, परीक्षा पैटर्न और आवेदन प्रक्रिया

IB ACIO भर्ती 2025 के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) ने एक बड़ी अधिसूचना जारी की है, जिसमें कुल 3,717 पद शामिल हैं। यदि आप सरकारी क्षेत्र में काम करने और देश की आंतरिक सुरक्षा का हिस्सा बनने का सपना देख रहे हैं, तो यह मौका आपके लिए खास हो सकता है। इच्छुक उम्मीदवार…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *